Search This Blog
काँपती है / अज्ञेय
पहाड़ नहीं काँपता,
न पेड़, न तराई;
काँपती है ढाल पर के घर से
नीचे झील पर झरी
दिये की लौ की
नन्ही परछाईं।
बर्कले (कैलिफ़ोर्निया), नवम्बर, 1969
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Share this
No comments:
Post a Comment